गीता जयंती आज! जानें क्यों गीता जयंती को हिंदू धर्म में प्राप्त है खास स्थान?

श्रीमद्भगवद् गीता, हिंदू धर्म के मानने वालों के विचारों को प्रदर्शित करती है, और इनकी वर्षगांठ को गीता जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस दिन किये जाने वाले अनुष्ठानों के बारे में जानें।
भगवद गीता को सार्वभौमिक रुप से हिंदू धर्म के सार के रुप में स्वीकार किया जाता है। इसलिये हिंदुत्व को मानने वाले हर शख्स द्वारा गीता जयंती को बहुत अहम माना जाता है। इस पवित्र हिंदू पाठ की शुरुआत कुरुक्षेत्र युद्ध के दौरान शुरु हुई थी। भारतीय इतिहास और सभ्यता के पन्नों में यह एक भव्य अध्याय है। भगवान श्रीकृष्ण ने गीता का उपदेश अपने मित्र और साथी महान धनुर्धर अर्जुन को दिया था। उस समय से हिंदू समुदाय के लोगों द्वारा अन्य धार्मिक ग्रथों में गीता को सर्वोच्च दर्जा दिया गया। इस साल गीता जयंती 8 दिसंबर को मनाई जाएगी। हिंदू पंचांग के अनुसार गीता जयंती मार्गशीर्ष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनायी जाती है। इस वर्ष यह त्योहार मोक्षदा एकादशी के साथ है इसलिये इसका महत्व और भी बढ़ जाता है। मोक्षदा एकादशी के दिन लोग संसार की मोहमाया और सारे प्रलोभनों से दूर होने के लिये व्रत रखते हैं। इस व्रत के नाम से ही पता चलता है कि यह मोक्ष की प्राप्ति के लिये लिया जाता है। आइए अब हम वर्ष 2019 के दौरान इस त्योहार के शुभ मुहूर्त पर एक नजर डालते हैं।
गीता जयंती मुहूर्त 2019 
        
                   एकादशी तिथि शुरु 

        07:01:55 सुबह, 8 दिसंबर, 2019 

                एकादशी तिथि समाप्ति 
        09:06:27 सुबह, 8 दिसंबर, 2019 
                          समयकाल 
                  2 घंटे 4 मिनट 

Note : यह मुहूर्त नई दिल्ली और इसके आसपास के इलाकों के लिये प्रभावी है। अपने शहर या कस्बे के लिये सही मुहूर्त की जानकारी के लिये यहां क्लिक करें।

गीता जयंती : महत्व

हिंदू धर्म को मानने वाले हर शख्स के दिल में श्रीमद भगवाद गीता का विशेष स्थान है। गीता को हिंदू धर्म का सबसे पवित्र ग्रंथ है। यह लाल कपड़े में लिपटी अन्य पुस्तकों की तरह नहीं है, इसमें जीवन को जीने के सही छंद समाहित हैं। वह प्रत्येक चीज जो इस ब्रह्मांड का हिस्सा है उसका गीता में उल्लेख मिलता है। गीता के पाठ न केवल व्यक्ति के जीवन से अज्ञानता के अंधेरे को दूर करते हैं बल्कि जीवन से जुड़ी महत्वपूर्ण शिक्षा भी प्रदान करते हैं। गीता की शिक्षाओं को जीवन में उतारने के लिये और हर शख्स तक इसकी शिक्षाओं को पहुंचाने के लिये, गीता जयंती को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। जैसा कि हम आपको पहले भी बता चुके हैं यह दिन इस बार मोक्षदा एकादशी के साथ पड़ रहा है, इस दिन लोग मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखेंगे। इस दिन भगवद गीता के पाठ के साथ-साथ लोग, भगवान कृष्ण और व्यास ऋषि की भी पूजा करेंगे। व्यास ऋषि ने ही महाभारत की पूर्ण कथा भगवान गणेश से लिखवायी थी.

पौराणिक कथाओं में गीता जयंती का उल्लेख

हर कोई जानता है कि गीता जयंती की जड़ें महाभारत महाकाव्य से जुड़ी हैं। इस महाकाव्य में कौरवों और पांडवों के बीच हुए महायुद्ध का जिक्र है। यह युद्ध 18 दिनों तक लड़ा गया था। गीता का प्रवचन युद्ध से ठीक पहले शुरु हुआ था। पराक्रमी अर्जुन ने भगवान कृष्ण से, जो उनके सारथी बने थे, को रथ को युद्ध के मैदान के बीच में ले जाने के लिए कहा। अर्जुन पांडवों की सेना का पराक्रमी योद्धा था लेकिन युद्ध के मैदान में जाकर उसका हृदय व्यथित हो गया क्योंकि विपक्षी सेना में उसके कई सगे संबंधी और मित्र थे। सुलह की कई कोशिशों के विफल हो जाने के बाद, अर्जुन मोहभंग की स्थिति में चला गया था। क्षत्रिय की तरह उसे जो कर्म करना चाहिये था उसे अर्जुन नहीं निभा पा रहा था। इसलिये ऐसी स्थिति से निकलने के लिये उसने अपने मित्र और साथी भगवान कृष्ण की सहायता मांगी। इसके बाद भगवान कृष्ण द्वारा अर्जुन को कई उपदेश दिये गये, और इन्हीं उपदेशों से भगवद गीता पुस्तक का अवतरण हुआ। भगवान कृष्ण ने अर्जुन को मार्गशीर्ष माह की एकादशी तिथि को गीता के उपदेश दिया थे इसलिये इस दिन को गीता जयंती के रुप में मनाया जाता है।

गीता जयंती के दिन किये जाने वाले अनुष्ठान

इस बार गीता जयंती के साथ-साथ लोगों द्वारा मोक्षदा एकादशी का व्रत भी रखा जाएगा। इस दिन कुछ नियमों का पालन करना बहुत आवश्यक होता है। जिनके बारे में नीचे बताया गया है।
  • गीता जयंती के दिन आपको सुबह जल्दी उठकर स्नान करें।
  • इसके बाद इस दिन व्रत रखने का संकल्प करें।
  • व्रत रखने वाले जातकों को व्रत से पहले वाली रात को किसी तरह का भोजन नहीं करना चाहिये।
  • भगवद गीता के पाठ के साथ-साथ इस दिन भगवान कृष्ण और ऋषि व्यास की पूजा भी करनी चाहिये।
  • इस व्रत में रात के समय भी पूजा करें, रात को जागरण रखना भी अति शुभ माना जाता है.
  • इस दिन श्रद्धापूर्वक भगवान कृष्ण को दीप, धूप और प्रसाद अर्पित करना न भूलें।
  • हो सके तो इस दिन कुरुक्षेत्र जाएं या किसी भी कृष्ण मंदिर में जाकर भगवान कृष्ण और भगवद गीता को श्रद्धांजलि अर्पित करें।
  • कम से कम गीता के एक अध्याय का पाठ अवश्य करें।
  • शाम के वक्त गीता पाठ प्रतियोगिता में हिस्सा लें।
हम आशा करते हैं कि गीता जयंती पर लिखा गया यह ब्लॉग आपको पसंद आएगा। भगवद गीता का पाठ करके अपनी चेतना को जगाएं। हमारे साथ बने रहने के लिये धन्यवाद।

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