वक्री बुध के गोचर से इन राशियों को होगा लाभ! पढ़ें वक्री बुध के तुला राशि में गोचर के ज्योतिषीय प्रभाव।
बुध ग्रह वक्री अवस्था में है और इसी अवस्था में यह तुला राशि में गोचर हो रहा है। हो सकता है कि आपके सामने ये सवाल हो कि यह वक्री अवस्था क्या है। जब कोई भी ग्रह अपनी विपरीत दिशा में आगे की ओर बढ़ता है तो ग्रह की उस चाल को वक्री चाल कहते हैं। आकाश मंडल में बुध ग्रह एक तटस्थ ग्रह है। न तो यह अशुभ और न ही यह शुभ ग्रहों की श्रेणी में आता है। किंतु जिस ग्रह के साथ इसकी युति होती है बुध उसी ग्रह के अनुरूप ही फल देता है।
कुंडली में बुध का बड़ा महत्व है। क्योंकि बुध ग्रह के शुभ प्रभाव से कोई व्यक्ति चालाक, प्रखर वक्ता, गणितज्ञ, तर्कवादी बन सकता है। ज्योतिष में बुध ग्रह को वाणी, संचार, गणित, तार्किक शक्ति, चतुराई आदि का कारक माना जाता है। राशियों में यह मिथुन और कन्या राशि का मालिक है। कन्या इसकी उच्च राशि भी है। जबकि मीन इसकी नीच राशि है।
यदि कुंडली में बुध ग्रह कमज़ोर हो अथवा यह पापी या क्रूर ग्रहों से पीड़ित हो तो जातकों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कमजोर बुध के कारण जातक को संवाद करने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। उसके स्वभाव में भोलापन होता है और ऐसा व्यक्ति गणित एवं तार्किक क्षमता में पिछड़ जाता है।
किंतु यदि
बुध ग्रह की शांति के उपाय किए जाएं तो जातक की कुंडली में बुध ग्रह मजबूत हो सकता है और जातक को इसके सकारात्मक परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।
बुध ग्रह के उपाय
- बुधवार के दिन गणेश जी की पूजा करें।
- इस दिन हरे रंग का वस्त्र धारण करें।
- बुध ग्रह की मजबूती के लिए विधारा मूल धारण करें।
- चार मुखी रुद्राक्ष को धारण करें।
- विधि पूर्वक बुध यंत्र की स्थापना कर उसकी पूजा करें।
- बुध ग्रह के बीच मंत्र का जाप करें - ॐ ब्रां ब्रीं ब्रौं सः बुधाय नमः।
गोचर की समयावधि
वक्री बुध 7 नवंबर बृहस्पतिवार शाम 4:04 तुला राशि में प्रवेश करेगा और 21 नवंबर को मार्गी होने के बाद पुनः 5 दिसंबर बृहस्पतिवार सुबह 10:23 बजे बजे वृश्चिक राशि में पुनः प्रवेश कर जाएगा।
आइए जानते हैं राशि के अनुसार तुला राशि में वक्री बुध के इस गोचर का प्रभाव….
मेष राशि
आपकी राशि के लिए बुध तीसरे और छठे भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान वक्री अवस्था में बुध आपके सप्तम भाव में गोचर करेगा। सप्तम भाव हमारे जीवन में होने वाली बड़ी साझेदारियों का भाव है। इसी के आधार पर हमारे जीवन साथी का चयन होता है तथा
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वृषभ राशि
आपकी राशि के लिए वह दूसरे और पांचवें भाव का स्वामी है और इस गोचर के दौरान अपनी वक्री अवस्था में वह आपके षष्टम भाव में प्रवेश करेगा। छठे भाव के द्वारा जीवन में संघर्षों के बारे में पता चलता है। किसी प्रतियोगी परीक्षा में सफलता की बात करनी हो अथवा
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मिथुन राशि
बुध ग्रह आपकी राशि का स्वामी होने के साथ-साथ आपके चतुर्थ भाव का स्वामी है और अपने इस गोचर के दौरान वक्री गति से आपके पंचम भाव में प्रवेश करेगा। पांचवा भाव हमारी बुद्धि और ज्ञान की दिशा का निर्धारण करता है। इसी के आधार पर हमारी शिक्षा
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कर्क राशि
इस राशि के लोगों के लिए बुध आपकी कुंडली के बारहवें तथा तीसरे भाव का स्वामी है। अपने इस गोचर के दौरान वे आपके चतुर्थ भाव में संचरण करेगा। चतुर्थ भाव हमारे सुख का भाव है और यही हमारी माता के बारे में भी बताता है। इसके अतिरिक्त किसी भी प्रकार की
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सिंह राशि
सिंह राशि के लोगों के लिए बुध ग्रह दूसरे तथा ग्यारहवें भाव का स्वामी है तथा अपने वक्री गोचर के दौरान आपके तृतीय भाव में प्रवेश करेगा। तीसरा भाव हमारे संचार माध्यमों तथा संवाद शैली का भाव है। इस भाव की सहायता से हम अपने छोटे भाई बहनों तथा छोटी दूरी की यात्राओं
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कन्या राशि
बुध ग्रह आपकी ही राशि का स्वामी है और साथ ही साथ आपके दशम भाव पर भी आधिपत्य रखता है। अपने इस गोचर के दौरान वह आपके द्वितीय भाव में प्रवेश करेगा। दूसरा भाव हमारी वाणी तथा भोजन का भाव होता है। हम कैसा भोजन खाते हैं और कैसी वाणी
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तुला राशि
तुला राशि के लोगों के लिए बुध बारहवें तथा नवें भाव का स्वामी है और इस दौरान बुध का गोचर आपके प्रथम भाव में होगा। इसे लग्न भाव भी कहते हैं। प्रथम भाव हमारे व्यक्तित्व का आईना होता है। इसी के द्वारा हमारा शरीर, समाज में हमारी पहचान तथा रोग प्रतिरोधक क्षमता
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वृश्चिक राशि
बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से द्वादश भाव मैं होगा। वह आपके लिए अष्टम तथा एकादश भाव का स्वामी है। बारहवाँ भाव हमारी विदेश यात्राओं को बताने का कारगर माध्यम है। इसकी सहायता से हम अपने जीवन में आने वाले ख़र्चों, हानियों, शयन सुख तथा आध्यात्मिक
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धनु राशि
आपकी राशि से एकादश भाव में गोचर करने वाला वक्री बुध आपकी राशि के लिए सप्तम और दशम भाव का स्वामी ग्रह है। एकादश भाव जीवन में लाभ का भाव माना जाता है क्योंकि हमारी सभी आकांक्षाएं इसी भाव से देखी जाती हैं। हमें हमारी मेहनत का लाभ कितना मिलेगा
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मकर राशि
बुध ग्रह का गोचर आपकी राशि से दशम भाव में होगा तथा वह आपकी राशि से छठे तथा नवम भाव पर अपना अधिकार रखता है। दशम भाव हमारे जीवन में कर्म पर आधिपत्य रखता है और जीवन में हमारे कर्म की दिशा का निर्धारण करता है। इसी के द्वारा हमारी ख्याति
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कुंभ राशि
बुध ग्रह का गोचर वक्री अवस्था में आपके नवम भाव में होगा और वह आपकी राशि के लिए पांचवें तथा आठवें भाव का स्वामी है। नवम भाव हमारे भाग्य का भाव होने के कारण जीवन में भाग्योदय के बारे में बताता है। इसके साथ ही लंबी दूरी की यात्राएं, गुरु तथा मान-सम्मान की प्राप्ति
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मीन राशि
आपकी राशि के लिए बुध ग्रह चतुर्थ तथा सप्तम भाव का स्वामी है और अपने इस गोचर के दौरान वह आपके अष्टम भाव में प्रवेश करेगा। अष्टम भाव अनिश्चितताओं का भाव है। इस भाव के द्वारा ही जीवन में अध्यात्म का स्तर तथा अचानक से होने वाली घटनाओं का
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