कहा जाता है कि यदि किसी की कुंडली में पितृ दोष आ जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन में कई तरह की समस्याएं उत्पन्न होने लग जाती हैं। फिर लगातार प्रयास और कड़ी मेहनत के बावजूद उस व्यक्ति को उसकी मेहनत का फल नहीं मिल पता है। सिर्फ इतना ही नहीं कुंडली में पितृ दोष की वजह से वो इंसान हमेशा दिक़्क़तों में घिरा रहता है। ऐसे इंसानों के घर में हमेशा धन की कमी बनी रहती है, उनके परिवार में कलह रहती है, और ऐसे लोगों के घर में कोई ना कोई हमेशा ही बीमार रहने लग जाता है। अगर इनमें से कोई भी लक्षण आपको आपकी ज़िंदगी में नज़र आने लगे तो समझ जाइये कि आपकी कुंडली में पितृ दोष है और आपको जल्द से जल्द इसका निवारण कर लेना चाहिए।
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किस वजह से कुंडली में होता है पितृ-दोष?
ज्योतिषियों के अनुसार जन्म कुंडली में दूसरे, चौथे, पांचवें, सातवें, नौवें, और दसवें भाव में सूर्य, राहु या सूर्य शनि की युति स्थित हो तो इसे पितृदोष माना जाता है. अगर सूर्य तुला राशि में स्थित होकर राहु या शनि के साथ युति करें तो इससे व्यक्ति के जीवन में अशुभ प्रभावों में और ज्यादा वृद्धि होती है. इन ग्रहों की युति जिस भाव में होगी उस भाव से संबंधित व्यक्ति को कष्ट और परेशानी अधिक होगी और उनके जीवन में हमेशा ही परेशानी बनी ही रहेगी. इसके अलावा लग्नेश अगर छठे, आठवें, या बारह-वें भाव में हो और लग्न में राहु हो तो भी इससे कुंडली में पितृदोष बनता है.
जानिए किन लोगों को लगता है पितृ-दोष?
- गरुड़ पुराण में उस बात का उल्लेख है कि जिन परिवारों में लोग अपने पितरों की पूजा और श्राद्ध नहीं करते हैं, उन्हें पितृदोष लग जाता है।
- इसके अलावा पीपल के पेड़ पर पूर्वजों का वास माना जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि पीपल के पेड़ को काटने या फिर उसके नीचे अशुद्धि फैलाने वाले लोगों को भी पितृ दोष लग सकता है।
- अगर किसी व्यक्ति के पिता या माता की मृत्यु हो गयी हो और उसके बाद भी वो व्यक्ति दूसरे जीवित परिजनों का अनादर करता है तो भी उसपर पितृदोष लग जाता है।
पितृ-दोष के नुकसान
- जिस जातक की कुंडली में पितृ-दोष होता है उस व्यक्ति को हमेशा मानसिक परेशानी लगी रहती है तथा उसके जीवन में पारिवारिक संतुलन नहीं बैठ पाता है।
- ऐसे जातकों के जीवन में बहुत ज्यादा पैसा कमाने के बाद भी घर में बरकत नहीं हो पाती है।
- ऐसे जातकों को खुद से निर्णय लेने में बहुत परेशानी होती है तथा ऐसी हालत में उसको हर मामले में लोगों की सलाह लेनी पड़ती है जो कई बार उनके लिए अनुकूल साबित है होती है।
- ऐसे जातकों को परीक्षाओं तथा साक्षात्कार में भी असफलता ही मिलती है।
- पितृ-दोष से प्रभावित जातक अगर सरकारी या प्राइवेट नौकरी में है तो उन्हें हमेशा अपने उच्च अधिकारियों की नाराज़गी झेलनी पड़ती है और उन्हें प्रोमोशन में भी काफी दिक्कतें आती हैं।
- ऐसे इंसानों को संतान प्राप्ति में बहुत ज्यादा बाधाएं आती हैं जिससे उनके वंश की वृद्धि नही हो पाती है।
पितृ-दोष दूर करने के उपाय
श्राद्ध पक्ष में तर्पण करने से मिलती है इस दोष से मुक्ति
ज्योतिष में पितृ-दोष को इंसान की कुंडली का सबसे बड़ा दोष माना गया है। ये दोष जिस भी इंसान की कुंडली में आ जाता है उसका जीवन हमेशा के लिए कष्टकारी हो जाता है। जिस भी जातक की कुंडली में पितृ-दोष होता है उसे हमेशा ही धन का अभाव रहता है और इससे उसका मानसिक तनाव भी बढ़ जाता है। ऐसे में कहा जाता है कि श्राद्ध पक्ष में तर्पण करने से पितृ-दोष की शांति होती है.
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पूर्णिमा पर पितरों को दें धूप
जिस भी जातक की कुंडली में पितृ-दोष के लक्षण नज़र आते हों उसे हर अमावस्या और पूर्णिमा के दिन अपने पितरों को धूप देना शुरू कर देना चाहिए। इसके लिए आप गोबर के कंडे पर शुद्ध घी और गुड़ से धूप करें। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए सुबह-शाम पूरे मन में पूजा करें। पूजा में हनुमान चालीसा या अष्टक का पाठ करना फ़लदायी रहता है। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितृ-दोष भी दूर होते हैं, पितृ-पूर्वज लोगों को भी शांति मिलती है और इस दोष से प्रभावित मनुष्य के जीवन की सभी बाधाएं भी धीरे-धीरे ख़त्म होने लग जाती हैं।
शाम के समय में दीप जलाना बिलकुल ना भूलें
पितृ-दोष से प्रभावित इंसान को पीपल के पेड़ दोपहर में जल, फूल, अक्षत,दूध, गंगा-जल, काला तिल, इत्यादि चढ़ाना चाहिए और स्वर्गीय परिजनों का ध्यान करके उनसे अपने सुखी जीवन का आशीर्वाद लेना चाहिए। शाम के समय भी दीपक जलाकर नाग स्त्रोत, महामृत्युंजय मंत्र या रुद्र सूक्त या पितृ स्त्रोत और नव-ग्रह स्त्रोत का पाठ करना चाहिए। ऐसा करने से भी जातकों को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है।
अपना आचरण सबसे और हमेशा अच्छा रखें
पितरों का आशीर्वाद पाने के लिए सबसे बेहतरीन उपाय है कि आप अपने जीवन में हमेशा सात्विकता बनाए रखें। अपना आचरण पवित्र रखें और अपनी भाषा में मधुरता लाएं। यहाँ ये भी बात जानने वाली है कि पितृ दोष को दूर करने के लिए किसी भी अमावस्या, पूर्णिमा या पितृ पक्ष में श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। ऐसा करने से पितृ तृप्त होते हैं और हमें समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं और हमारे जीवन के सभी कष्ट भी दूर करते हैं।
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गौ-माता को रोटी खिलाएं
इसके अलावा घर की महिलाएं रोज़ाना नहाने के बाद ही रसोई में भोजन बनाने के लिए जाएं और खाने की पहली रोटी गौ माता के लिए निकालकर उस पर घी-गुड़ रखकर गाय को खिलाना चाहिए। इसके अलावा चिड़ियों को बाजरे के दाने डालें और कौवों को भी रोटी डालें।
ये तो हो गयी वो बात जब आपको अपनी कुंडली से पितृ-दोष की बात का पता चल जाए लेकिन ऐसे भी कई लोग होते हैं जिनकी कुंडली किन्ही कारण-वश नहीं बन पाती है ऐसे में उन्हें कैसे पता चले कि उनकी कुंडली में पितृ-दोष है की नहीं।
यहाँ जानिए बिना जन्म-कुंडली के पितृदोष के लक्षण पहचानने के तरीके
- अगर सुबह उठने के साथ ही परिवार में अचानक कलह क्लेश होता है तो ये संकेत है की परिवार के किसी ना किसी को पितृ-दोष है।
- अगर किसी इंसान की विवाह की बात अक्सर बनते-बनते बिगड़ जाती है तो उसपर भी पितृ-दोष का प्रभाव हो सकता है।
- अगर आपको बार-बार चोट लगती है और आप दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं तो भी ये इस बात की तरफ इशारा करता है कि आपकी कुंडली में पितृ-दोष है।
- अगर आपके घर मे मांगलिक कामों में विघ्न आता ही रहता है तो भी पितृ-दोष के लक्षण हैं।
- कुंडली में पितृ-दोष के लक्षण हैं वो इस बात से भी पता लगाया जा सकता है अगर अक्सर घर की दीवारों में दरारें भी आती है।
- पितृ-दोष से प्रभावित जातकों के परिवार में या घर मे मेहमान आना बंद हो जाते हैं और उनके दाम्पत्य जीवन के क्लेश के कारण जीवन के मुश्किलें आनी शुरू हो जाती हैं।
पितृ-दोष निवारण का महा-उपाय
हालाँकि यहाँ परेशान होने की ज़रूरत नहीं है। अगर कोई भी इंसान पितृदोष को अपनी कुंडली से खत्म करना चाहता है तो इसके लिए उसे हर अमावस्या पर अपने पूर्वजों और पितरों के नाम से जितना हो सके लोगों को दवा-वस्त्र और भोजन का दान करना चाहिए। इसके अलावा उन्हें हर बृहस्पतिवार और शनिवार की शाम पीपल की जड़ में जल अर्पण करना चाहिए और पेड़ की सात परिक्रमा करनी चाहिए।
इसके अलावा ऐसे जातकों को शुक्ल-पक्ष के रविवार के दिन सुबह के समय भगवान सूर्य नारायण को तांबे के लोटे में जल, गुड़, लाल फूल, और रोली इत्यादि डालकर अर्पण करना शुरू कर देना चाहिए। इससे जल्द ही इस दोष से निवारण होता है। पितृ-दोष से प्रभावित लोगों को हमेशा अपने माता पिता और घर के सभी बड़े-बुजुर्ग व्यक्तियों को चरण स्पर्श कर के आशीर्वाद लेना चाहिए।
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